5 Easy Facts About shiv chalisa lyricsl Described
5 Easy Facts About shiv chalisa lyricsl Described
Blog Article
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
अर्थ: हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो। आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये ।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।
करत कृपा सब के घटवासी ॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु Shiv chaisa अब संकट भारी॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥